पापा, मम्मी तो सही कह रही हैं मगर आप भूल कर रहे हैं। पापा, मम्मी तो सही कह रही हैं मगर आप भूल कर रहे हैं।
ये मर्द एक औरत को उसके ज़िस्म से आगे न कभी देख पायेगा न सोच पायेगा।" ये मर्द एक औरत को उसके ज़िस्म से आगे न कभी देख पायेगा न सोच पायेगा।"
आखिरी भेंट के बाद मैं सिद्धप्रभा को कभी नहीं देख पाया एक दूसरे के लिए जीते जी मर गए। आखिरी भेंट के बाद मैं सिद्धप्रभा को कभी नहीं देख पाया एक दूसरे के लिए जीते जी मर...
स्त्री और श्रृंगार का चोली दामन का साथ है जो दिल चाहे पहने और खूब सजसंवर कर रहे । मन मा स्त्री और श्रृंगार का चोली दामन का साथ है जो दिल चाहे पहने और खूब सजसंवर कर रहे ...
उनके अंदर कुछ दर्द है और वो बयान करना चाहती है, पर वो कर नहीं पा रही है। उनके अंदर कुछ दर्द है और वो बयान करना चाहती है, पर वो कर नहीं पा रही है।
शक का कीड़ा शक का कीड़ा